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पूछने को ख़ैरियत तैयार हैं सभी
मगर जानता हूँ मैं बेकार हैं सभी
सच पर कोई मुक़दमा नही करता
मगर झूठ पर दावेदार हैं सभी
मरने को तो मरते हैं बेमौत भी लोग
मगर खुदकुशी के जिम्मेदार हैं सभी
आकर देखो हालात-ए-मंज़र यहाँ का
दो रोटी के लिए कर्ज़दार हैं सभी
लूटते हैं गरीबों और मज़लूमो
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