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उड़ान


हमसे कहा गया की,

तुम उड़ना चाहती हो तो उड़ सकती हो,

मगर उन पंछियों की तरह नहीं,

 जो खुले आसमान में उन ऊंचाइयों तक जा सके

 जहां तक वो जाना चाहें।


बल्कि इन पतंगों की तरह 

जिसके पीछे एक डोर बंधी हो

और वो वहीं तक उड़ सकती हैं,

 जहां तक उन्हे ढील दी जा रही है।


की हमने भी चुना वो पतंग होना।।

क्यूंकि सदियों से बंधे उस पिंजड

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