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ए नारी,
तू किरण हैं,
तू छाया हैं,
तू ममता की छवि हैं,
तू उल्लेखनीय रचना हैं,
तू स्वयं रचयिता हैं।
तू निराशा कहाँ,
तू आशा हैं।
ए नारी,
तू आहना हैं,
तू संध्या हैं,
तू निशा की रोशनी हैं,
तू शुरुआत हैं,
तू समापन हैं।
तू कलह कहाँ,
तू शांति हैं।
ए नारी,
तू अद्विका हैं,
तू धरा हैं,
तू भावना की मीरा हैं,
तू बेमिसाल हैं,
तू खुद में एक मिसाल हैं।
तू अंधकार कहाँ,
तू दामिनी हैं।
ए नारी,
तू अग्रणी हैं,
तू अग्रिमा हैं,
तू एकता की दिशा हैं,
तू मर्यादा की सीमा हैं,
तू असिमित होसला हैं।
तू मलीन कहाँ,
तू कस्तूरी हैं।
ऐ नारी,
तू लक्ष्मी हैं, तू दुर्गा हैं,
तू विद्या हैं, तू सीता हैं,
तू काली हैं, तू जननी हैं,
तू भूमि हैं, तू इंदु हैं,
तू गंगा हैं, तू भारती हैं,
तू ही ऊर्जा, तू ही विनाशक...
गज-गज बाजे तेरा डंका।
गज-गज बाजे तेरा डंका।
तू बोझ कहाँ,
तू अंजलि हैं।
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