हिज़्र's image
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चन्द लम्हे, चन्द लफ़्ज़
फिर हिज़्र का वो वकफ़ा.
सूने-सपाट दिनों की बैचेनी,
रहने ही दीजिए... 
ये इश्क़ नहीं आपके बस का.<

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