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तन मन दोनों आल्हादित, आया रंगों का त्यौहार।
रंग, गुलाल, पिचकारी से, सज धज गया बाजार।
द्वेष दंभ अब भूलकर, फैलाएँ हम जग में प्यार।
बैर केवल हानि पहुँचाता, सुख देता सद्व्यवहार।
पलास की शोभा निराली, महकती आयी बयार।
रंग जाए ये दुनिया सारी, कर दो रंगों की बौछार
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