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आज सुबह,
अचानक डोर वैल बजा,
घड़ी में देखा समय,
तो छः थे बज रहे,
मन में बहुत गुस्सा आया,
खुब कोसा,
फिर उठा,
और दरवाजा खोला।
मैं देखकर हैरान,
एक सफेद पोशा धारी,
थे विराजमान,
साथ में थे,
एक मुहल्ले के चौधरी,
बोले नमस्ते जसवाल साहब,
ये हैं बहुत ही गतिशील कर्मठ,
युवा नेता,
बोलते आपसे है मिलना,
हालचाल है पुछना।
मैं ठहरा सीधा-सीधा व्यक्ति,
तुरंत बोल दिया,
आगे तो कभी मिले नहीं,
लगता है चुनाव आ गया भई।
नेता जी ने तुरंत हाथ आगे बढाया,
मैंने भी कसके,
अपना हाथ उनके हाथ में दे पकड़ाया,
बोले ठीक हो,
कोई दिक्कत तो नहीं,
पानी और बिजली ठीक आ रहा,
नहीं तो अभी करा देता,
जेई का तबादला,<
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