0 Bookmarks 203291 Reads0 Likes
आज जहां भी देखो,
है भ्र्र्रष्टाचार और
आतंकवाद,
नहीं सामने समाधान,
सबको अपने से काम,
कहां गया सोहार्द,
भाईचारे का बस नाम,
जैसे ही अपना स्वार्थ पूरा,
सबको सलाम।
सामने नहीं कोई मिसाल,
जिसका करें अनुसरण,
अब राम भी बस रामलीला तक,
सुनने में अच्छा लगता,
जब उन असूलोंं पे
आती चलने की बारी,
सबकी सांंसें फूल जाती सारी की सारी।
क्या कोई उतना त्याग &nbs
है भ्र्र्रष्टाचार और
आतंकवाद,
नहीं सामने समाधान,
सबको अपने से काम,
कहां गया सोहार्द,
भाईचारे का बस नाम,
जैसे ही अपना स्वार्थ पूरा,
सबको सलाम।
सामने नहीं कोई मिसाल,
जिसका करें अनुसरण,
अब राम भी बस रामलीला तक,
सुनने में अच्छा लगता,
जब उन असूलोंं पे
आती चलने की बारी,
सबकी सांंसें फूल जाती सारी की सारी।
क्या कोई उतना त्याग &nbs
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments