
सुबह जल्दी जल्दी तैयार हुआ,
मंदिर गया,
भगवान शिव को,
जल अर्पित किया,
और दुआ मांगी,
हे प्रभु!
तूं हमारी भी लव लाइफ बना,
कब तक,
यूं हीं,
अकेले आहें भरते रहेंगे,
देख देखकर,
कुढ़ते रहेंगे।
घर आया,
नाश्ता किया,
मां से बहाना लगाया,
आज है प्रैकटिकल,
अभी निकलूंगा,
तो कहीं पहूंचूंगा।
मां मुस्कराई,
अपने बेटे की निष्ठा पे,
फूली न समाई,
और आशीर्वाद देकर,
विजय भव: से,
कालेज की ओर दी विदाई।
मैंने झट से,
बाईक की स्टार्ट,
निकल पड़ा,
उसी राह,
जहां से अक्सर वो आती थी,
खूब मुस्कुराती थी,
और मुझे गलतफहमी हो जाती थी।
मौसम था आशिकाना,
मन ही मन,
भोले को एक बार,
फिर माना,
अभी कुछ ही दूर गया,
तो उसी सड़क पर,
सरपट चलते देखा,
बेचारी हवा से जूझ रही थी,
कभी किताबें,
कभी छाता,
और दुपट्टा संभाल रही थी।
मुझे लगा,
आज अपनी भोले ने सुन ली,
मैंने तुरंत बाइक,
उसके सामने खड़ी की,
और बोला,
कहो तो मैं मदद करूं,
पीछे बैठ जाओ,
मौसम खराब है,
आने वाला तूफान है,
सब के सब,
जा चुके हैं,
मेरी बाईक खाली है।
उसने पहले तो,
नाक सिकुड़ी,
आंखें तरेरी,
तभी बादल ने गर्जन मारी,
वो बेचारी सहमी,
झट से पीछे बैठी।
बस हाथ क्लच पे
बाइक हवा में,
जब कहीं ब्रेक लगती,
वो मुझे छूती,
मेरी धड़कन गति पकड़ती,
वो बेचारी छटपटाकर पीछे हटती,
मुझे बहुत तकलीफ़ होती।
ये सिलसिला चल रहा था,
मेरा इश्क परवान हो रहा था,
आखिर बाइक दे गई जबाव,
हो गई खराब,
मैंने भोले को याद किया,
खूब मंत्र उच्चारण किया,
परंतु कहीं बात बनती नहीं दिखे,
और वो लाल पीला होती जाए,
आखिर उसने कह डाला,
ये तुम्हारी शरारत है,
मुझे सब मालूम है,
अब उसको कौन समझाए,
मेरे लिए आफत बन गई।
इसी बीच,
एक कार आई,
उसने लिफ्ट मांगी,
और चली गई,
मैं अपनी किस्मत पे,
खूब हुआ खफा,
उसकी मर्जी के आगे,
कभी पता भी हिल सकता।
समाप्त।
ये सिलसिला लगातार चलता रहा
लता ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
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