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जी ले यारा
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बीज नहीं
तो पेड़ नहीं,
पेड़ नहीं
तो छाया क्या?
छाया नहीं
तो सुकून नहीं,
सुकून नहीं
तो जिंदगी क्या?
क्या ढूंढते हो
लोगों के बीच?
खुद ही तो हो तुम
अपना बीज
मेहनत मिट्टी,
गाड़ दे पैर,
जान ले यारा,
अब तू ही पेड़
गहरी जड़ें,
मजबूत पकड़,
हर आंधी कहे
ये कैसी अकड़?
सूरज-चांद,
धरती-अंबर,
ये तो अब
तुम्हारे है,
झुंड सारी,
परे तुमसे,
ये भी तुम्हारे
हवाले है,
अब तो
तुमको जीना है,
बीज का
कर्ज चुकाना है,
फूटा है वो
मिट्टी तले,
तुम्हे आसमां
छूना है
ऐसे उभरो,
सीना ताने,
दुनिया क्या,
वो अपनी जाने
मगन रहो तुम,
बस लहराओ,
सुकून पाओ,
सुख बरसाओ
-अनिरुद्ध
4th Nov 2021
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