मैंने पिछली कहानी में लिखा था कि #Ola के “नॉट-जस्ट-अ-टैक्सी-ड्राईवर” राहुल से कैसे हमारी (मेरी और माँ की) मुंबई मुलाकात हुई और उनके विनम्र व्यवहार से हम कितने अभिभूत हुए।
LinkedIn पर भी मैंने यह अनुभव साझा किया था और ओला कंपनी ने राहुल को शुभकामनाएं देने के लिए सीआरएन नंबर भी माँगा। वो तो मैंने भेज दिया है। लेकिन अब चलते हैं थोड़ा फ्लैशबैक में...उस दिन डेस्टिनेशन पर पहुँचने के बाद राहुल की हमने तस्वीर ली। उन्होंने बताया कि वो Meta,YouTube, Instagram... सब जानते हैं, लेकिन उन्हें हम तस्वीर WhatsApp के माध्यम से भी भेज सकते हैं।
‘लेकिन दीदी, आपके पास मेरा नंबर कैसे आएगा? मैंने फ़ोन तो कंपनी के नंबर से किया था।’‘उसमें नंबर आ जाता है ‘Contact Driver’ के ऑप्शन में...’
‘अच्छा! बढ़िया है!’राहुल मुस्कुरा कर चले गए। हम भी हमारे काम में व्यस्त हो गए।
लौटते समय हमने फिर से Ola बुकिंग की। फिर से मंजिल पर पहुंचे तो ड्राईवर ने रोका और कहा कि कैश पेमेंट बाकि है।
मैं अचंभित थी, क्योंकि मैंने सेटिंग में तो Ola Wallet किया था (शायद?)... चेक करने पर पता चला कि कैश पेमेंट का ही ऑप्शन सेलेक्ट किया हुआ था। ड्राईवर को कैश पेमेंट किया, लेकिन फिर अचानक याद आया कि सुबह भी तो कैश पेमेंट रहा होगा!
तो क्या राहुल का ध्यान नहीं गया? हमारा भी ध्यान नहीं गया? कैसे जाता! हम तीनों आपस में बात करने में ही इतने व्यस्त थे कि मंजिल पर पहुँच कर तीनों में से किसी का ध्यान ही नहीं गया कि ऑनलाइन पेमेंट हुआ ही नहीं है!
मैंने देखा कुल 722 रूपए का बिल बना था। बेहद दुःख हुआ। लगा कि शायद हम सुबह-सुबह की पह
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