
Share0 Bookmarks 30 Reads0 Likes
डूबते सूरज के साथ जैसे ,
एक जीवन पूरा हो जाता है ,
तेरी रची महिमा के आगे ,
सिर मेरा एक बार फिर झुक जाता है ,
फिर एक दिन का जीवन देने का तेरा शुक्रिया ,
रात को फिर अर्ध मृत्यु का आगोश छा जाता है ,
पहली किरण के साथ जब आँख खुलती है ,
तुझ पर विश्वास और अटल हो जाता है।
फिर उम्मीदें , सपने जग जाते है ,
नवसंचार सामर्थ्य का नस नस में दौड जाता है ,
कदम खुद बखुद निकल पड़तेहै ,
रात होने से पहले जैसे सब कुछ समेट लेना चाहता है,
हर भाव से जैसे जीवन गुजरता है ,
रोज , एक जीवन का आरम्भ और अंत हो जाता है।
़ ़
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments