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वो घर याद आता है।

आनंद तिवारीआनंद तिवारी October 23, 2021
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घर की छत के नए कबेलु बदलने का वक़्त आ गया

अबकि बार बारिश जल्द आने वाली है।


कुछ दीवारों पर सीलन पिछले साल की अब तक ताजा है।

कुछ कमरो में रीसन और पानी की कुछ बुँदे इस साल भी

टपकेगी


।बादलों के तेज गरजने से माँ की नीद फुर से उड़ जायेगी।

कुछ कपड़े कल शाम से छत पर ही भूल गयी, सारे गीले हो जाऐगे। 


वो पुरानी काली छतरी तेज आंधी में हाथ से छुट जाया करती है, 

माँ के कमजोर हाथो से निकलकर हवा से बात करना चाहती है मानो।


माँ के बनाये पापड़ का कड़ाई कब से इंतजार

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