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अलविदा-दिसम्बर

Anand GolchhaAnand Golchha December 28, 2022
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अलविदा-दिसम्बर 

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खट्टी-मीठी यादें 

अच्छे-बुरे अनुभव 

सही-गलत फैसले की

गणना कर रहा है 

लो यह दिसंबर भी

अब रवाना हो रहा है.. 


नववर्ष देहरी पर है खड़ा

अरे मानव तू क्यों 

रुका पड़ा ?

काश! मैंने ..

यह कर लिया होता 

काश ! मैं थोड़ा ..

'जी' लिया होता

अब इस 'काश' पर ही

तू क्यूं अटका पड़ा है 


ये 'समय' क्या 

कभी रुक पायेगा?

ये तो प

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