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शराबों सिगरटों से क्या मिला है
नशा तो तेरी आँखों का मिला है
हमीं ने हिज्र में उमरें गुज़ारी
सभी को दूसरा मौका मिला है
तुम्हें मंज़िल मिली शुभकामनाएं
हमें मुश्किल से ये रस्ता मिला है
हमें तो वस्ल में मारा गया था
हमें तो ज़हर भी मीठा मिला है
उजालों ने अँधेरे में रखा है
हमें जो भी मिला झूठा मिला है
हवाओं से गिला कुछ भी नही था
चरागों से हमें धोखा मिला है
- अमूल्य मिश्रा
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