Share0 Bookmarks 202903 Reads0 Likes
सुना है तुम्हारे शहर में बरसात हुई है
ना मिट्टी की वो ख़ुशबू रही
ना शहर की वो सड़कें वही
अब तुम कहीं और हम कहीं।
लेकिन बारिश की इस फुहार ने
अन्दर के कई तार झनझना दिए
और अपनी वो छोटी सी छतरी याद आ गयी
जिसमें हम दोनों उस दिन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments