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इतना उजाला क्यों दिया
कि आंखें चौंधिया गईं
इतना अंधेरा क्यों दिया
कि रास्ते अब ढूंढे तुम्हें
इतना क्यों मुसकुराये तुम
कि हर कोई
अब रो रहा है
तुम तो हर मुश
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इतना उजाला क्यों दिया
कि आंखें चौंधिया गईं
इतना अंधेरा क्यों दिया
कि रास्ते अब ढूंढे तुम्हें
इतना क्यों मुसकुराये तुम
कि हर कोई
अब रो रहा है
तुम तो हर मुश
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