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कभी अधोमुख, कभी आशाप्रद
अपूर्ण लेख-प्रारूप की हद
लेकिन मायूस मन से उम्मीद का
आवरण नहीं उतारा अभी तक
मैं न हूँ हारा अभी तक
अभिव्यक्ति की रचना जटिल है
काव्य का सृजन और मुश्किल है
शब्दों के एक सुन्दर धागे का
परिधान तैयार नहीं सारा अभी तक
मैं न हूँ हारा अभी तक
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