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ग़ज़ल के कुछ शेर ... (001)

Amit Radha Krishna NigamAmit Radha Krishna Nigam September 30, 2021
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तुझे अपनी ग़ज़लों में फिर , ज़िंदा कर रहा हूँ मैं

यूँ एक बार और खुद को , शर्मिंदा कर रहा हूँ मैं


जिंदगी एक पिंजरा हैं, जिसकी सलाखें मेरी मजबूरियाँ

और अपने सपनो को, परिंदा कर रहा हूँ मैं ....

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