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शहर के बाहर
होती है, कम से कम
एक बस्ती
मलीन सी
जहां, कई आंखो में
पलती है
लाचारी व निराशा
भूख की तरह
और भूख मिटाने को
की जाती है मजदूरी,
उस कमाई से
खरीदी जाती है, शराब
और
होती है, कम से कम
एक बस्ती
मलीन सी
जहां, कई आंखो में
पलती है
लाचारी व निराशा
भूख की तरह
और भूख मिटाने को
की जाती है मजदूरी,
उस कमाई से
खरीदी जाती है, शराब
और
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