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मैं चर्चित नहीं, स्मरणीय नहीं
मैं सूक्ष्म बिंब हूं प्रकाश का
मेरी तृष्णा केवल ओस नहीं
मुझे मोह सकल आकाश का।
जब मन डरे, मंथन करे
जब द्वेष से ह्रदय कंपन करे
तिमिर
मैं सूक्ष्म बिंब हूं प्रकाश का
मेरी तृष्णा केवल ओस नहीं
मुझे मोह सकल आकाश का।
जब मन डरे, मंथन करे
जब द्वेष से ह्रदय कंपन करे
तिमिर
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