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एक घर के दो कमरे
एक कमरे में थाली
भर के मछली भात,
एक कमरे में
गिनी हुयी रोटियाँ।
एक घर के दो कमरे
एक कमरे में आसमान
आज़ादी के रंगो का,
एक कमरे में पायल पहनी
डर और निराशा
की गुड़िया।
एक घर के दो कमरे
एक में कोलाहल, उत्सव
अगले उत्तराधिकारी का,
दूसरे में डर, शंका
पेट में पल रहे अनहोनी का।
एक घर
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