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मन करता है जिंदगी की मुश्किलों से अब जी बहलाने का
ख्वाहिशों के समंदर में उठती लहरों के खिलाफ़ जाने का
वो कोसेगा हर टीस पे क्युंकि अभी हिज्र का घाव हरा हैं,
नफ़रत हो नहीं रही उसे और मोहब्बत से भी ना उबरा हैं
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