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मैं तुमसे फिर मिलना चाहूँगी...
जब झुर्रियाँ मेरी खूबसूरती को घटाने लगे
और चेहरे की चमक भी जाने लगे
तुम नजरों से तराशना उस वक़्त मुझे
मैं फिर गुलाबों की तरह खिलना चाहूँगी
मैं तुमसे फिर मिलना चाहूँगी...
जब मेरी बातें लोग अनसुनी करने लगेंगे
मेरे ख्यालात सबको पुराने लगने लगेंगे
तुम बुनना तब मेरे आँखों में कुछ ख्वाब
मैं फिर अपने ख्यालों को बदलना चाहूँगी
मैं तुमसे फिर मिलना चाहूँगी...
जब मैं जिंदग
जब झुर्रियाँ मेरी खूबसूरती को घटाने लगे
और चेहरे की चमक भी जाने लगे
तुम नजरों से तराशना उस वक़्त मुझे
मैं फिर गुलाबों की तरह खिलना चाहूँगी
मैं तुमसे फिर मिलना चाहूँगी...
जब मेरी बातें लोग अनसुनी करने लगेंगे
मेरे ख्यालात सबको पुराने लगने लगेंगे
तुम बुनना तब मेरे आँखों में कुछ ख्वाब
मैं फिर अपने ख्यालों को बदलना चाहूँगी
मैं तुमसे फिर मिलना चाहूँगी...
जब मैं जिंदग
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