ख्वाबों के सिरहाने तुम्हारी ही यादों को बिछाकर रखते हैं,
तुम्हारी तस्वीरों को, अपनी किताबों में छिपाकर रखते हैं।
हमारी हर सहर तुम्हारे ख्यालों में खोकर मुस्कुरा जाती हैं,
अपनी शामों में हम आज भी तेरा हिस्सा बचाकर रखते हैं।
©आँचल त्रिपाठी
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