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मैं अकेला ही चला तो क्या...
तुम साथ निभाते तो
मंज़िल का सफर कट जाता...
मैं अंधेरों में पला तो क्या...
तुम रोशनी दिखाते तो
जीवन का दुख बँट जाता...
मेरे ऊपर पहरे थे तो क्या...
तुम मिलने आते तो
चेहरे का नकाब हट जाता...
मेरे ज
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