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जब भी देखता हूँ तेरी झील सी गहरी आँखों में,
नशा सा छा जाता है मेरे दिलों-जान और सांसो में...
जब भी पीता हूँ तेरे होठों के प्यालों में,
डूबकर रह जाता हूँ तेरे ही ख्यालों में...
जब भी झांकता हूँ तेरे घने रेशमी बालों में,
उलझ कर रह जाता हूँ, तेरे मासूम सवालों में...
जब भी महसूस करता हूँ तेरी सांसो की गर्मी को,
कांटे भी ऐसे लगते हैं, जैसे फूलों की नर्मी हो...
जब भी निहारता हूँ तेरे चेहरे से टपकते नूर को,
ख
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