Share0 Bookmarks 47917 Reads0 Likes
दोस्ती का दम भरते हैं वफादारी की कसमें खाकर,
पीठ पीछे गैरों के सामने अपनों के राज खोलते हैं....
जुए और शराब में फूंक देते हैं रोज लाखों-करोड़ों,
गरीब की मजदूरी देने के नाम पर जेबें टटोलते हैं...
मजबूरी क
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments