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दोस्ती का दम भरते हैं वफादारी की कसमें खाकर,
पीठ पीछे गैरों के सामने अपनों के राज खोलते हैं....
जुए और शराब में फूंक देते हैं रोज लाखों-करोड़ों,
गरीब की मजदूरी देने के नाम पर जेबें टटोलते हैं...
मजबूरी का बहाना बनाकर लेते हैं उधारी सबसे,
तकाजा करने पर बेशर्म होकर माँगते मोहलतें हैं...
बेईमानी करना है उनकी आदत और धोखा देना उनकी फितरत,
नहीं जानते कि ईमान और जबान ही इंसान की सबसे बड़ी दौलतें हैं ।
~ अम्बुज गर्ग
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