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मौत का खौफ दिखता सब तरफ है,
चिताओं का जलता मंज़र हर तरफ है,
घर मे कैद रहकर ही बचना पड़ेगा,
जीवन को सहेज कर रखना पड़ेगा।
संकट है भारी,आधी-अधूरी है तैयारी,
हवा-दवा इलाज सबकी है मारा-मारी,
मदद का हाथ आगे बढ़ाना पड़ेगा,
एक-दूसरे का साथ निभाना पड़ेगा।
हो कांटे कितने भी राहों में,
हो छालें जितने भी पाँवों में,
गिरकर फिर संभलना पड़ेगा,
मंज़िल की ओर चलना पड़ेगा।
~ अम्बुज गर्ग
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