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ईश्वर बस इतना एहसान कर
कि ये बला टल जाए,
सबका परिवार सलामत रहे
और हमारा भी संभल जाए।
टूट रही है जिन्दगी की सासों की डोर,
ये मौत की हवा किसी तरह बदल जाए।
बीमारी भूख गरीबी फैली है हर तरफ,
इन समस्याओं का कोई तो हल निकल जाए।
दुखों का अंधेरा छाया है सब तरफ,
कहीं तो खुशियों का चिराग जल जाए।
ठहर सा गया है जैसे जीवन का चक्र,
काश ये समय का पहिया फिर से चल जाए।
~ अम्बुज गर्ग
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