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जीवन के इस सफर में, सांसें किसकी थमी नही,
अमरता को खरीद सके, इतना भी कोई धनी नही...
किस्मत के आगे कभी, किसी इंसान की चली नहीं,
मृत्यु को भी जीत सके, ऐसा कोई महाबली नहीं...
दिन में चढ़ता सूरज है, पर शाम किसकी ढली नही,
रात कितनी भी अंधेरी हो, पर सुबह कभी टली नही...
वो गुलशन ही क्या, जिसमे काँटों के साथ खिली कली नहीं,
वो दिल ही क्या, जिसमें मोहब्बत की आग कभी जली नही...
नफरतों का ये दौर सही, मोहब्बत भी हमें कुछ जमी नहीं,
पर यार-दोस्तों से अलग कर सके, ऐसी कोई दीवार बनी नहीं...
किसी का हक छीनने की ख्वाहिश, कभी मन में पली नहीं,
दोस्ती सबकी अच्छी है, दुश्मनी किसी की भली नहीं...
~ अम्बुज गर्ग
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