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कब कहा मैंने कि आप मेरे,
जीवन भर का हिस्सा बनिए,
जब तक हो सके संपर्क में रहिए,
फिर ख़ूबसूरत यादों का किस्सा बनिए।
यूं ही ना जुड़ता कोई किसी से,
आप साथी किसी के आहिस्ता बनिए,
जब तक हो सके संपर्क में रहिए,
फिर ख़ूबसूरत यादों का किस्सा बनिए।
फूलों सा महके ये जीवन जिनसे,
आप उन एहसासों का गुलदस्ता बनिए,
जब तक हो सके संपर्क में रहिए,
फिर ख़ूबसूरत यादों का किस्सा बनिए।
हो ज़हन में शामिल जो खुशियां बनके,
किसी का ख़ास कोई रिश्ता बनिए,
जब तक हो सके संपर्क में रहिए,
फिर ख़ूबसूरत यादों का किस्सा बनिए।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।
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