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मेरा ख़्याल तुम,
मेरी प्रेरणा तुम,
तुम ही मेरी कल्पना हो,
सांसों का साज़ तुम,
दिल की आवाज़ तुम,
तुम ही मेरी तमन्ना हो।
ज़हन में तुम,
ख़्वाबों में तुम,
तुम ही मेरी रचना हो,
हर लम्हा जो देखा मैने,
तुम ही मेरा वो सपना हो।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।
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