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याद है मुझे हर बात प्रिय,
जो थी तुमने मुझसे कही,
कम ही रही हर बात प्रिय,
जो प्रशंसा में तुम्हारी मैंने कही,
हंसती- छेड़ती तुम मुझको प्रिय,
अपने आप में ही इतराती रही,
रूठ जाती थी तुम अकार
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