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जाने कैसे मुकाम पे आकर,
ये दुनिया गई ठहर है,
पिंजड़े में जानवरों को रखता था इंसान,
आज कैद घर में हर पहर है,
जाने कैसी शाम है ये,
और होती कैसी सहर है,
सारी दिशाओं में फैला हुआ,
भयानक मौत का ज़
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