अंबर।'s image
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काश दूर कहीं ये अंबर भी,

नीले अंबर में खो जाए,


धरती पे मौजूद ये अंबर भी,

नीले अंबर सा हो जाए,


निश्चित है इस अंबर का भी,

एक न एक दिन अंत,


जीते जी तो हो जाए ये,

नीले अंबर सा अनन्त,


मीलों-मील फैला है,

ख़ूबसूरत नीला अंबर,


एक टक बस यूं ही निहारता है,

नीले अंबर को ये अंबर,


सूरज चाँद-सितारों से,

नीला अंबर आबाद है,


ये अंबर कुछ ख़ास तो नहीं,

पर हर ख़्याल से आज़ाद है,


ओर-छोर सीमाओं से,

परे है नीला अंबर,


किसी बंधन में तो बंधा नहीं पर,

सीमाओं में है ये अंबर,


कभी-कभी सोचता है,

धरती पे मौजूद ये अंबर,


नीले अंबर पे कैसे लिखे,

अपना नाम ये “अंबर”।


कवि-अंबर श्रीवास्तव।

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