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✍️अमर त्रिपाठी
निगाहों से तुम्हारे दिल पर पैगाम लिख दूंगा ।
अगर तुम आ जाओ मेरे दिल के आशियाने पर,
तो जहां की सारी खुशी तुम्हारे नाम लिख दूंगा।
तुम एक बार अपनी आंखों से दीदार करके देखो,
मोहब्बत की कसम मोहब्बत की किताब तुम्हारे नाम लिख दूंगा।
तुम्हें शिकवा ना होगा तुम्हें शिकायत ना होगी मुझसे,
बस एक बार आंखें झुका के मोहब्बत का इजहार कर लो,
दुनिया के हर सितम तुम्हारे नाम लिख दूंगा।
कहेंगे लोग तुमको बेवफा गर्दिशे जवानी की,
आज ही खुशनुमा मोहब्बत का एकबाल करो,
यकीन करो मेरा दुनिया का तख्तों ताज तुम्हारे नाम लिख दूंगा।
मोहब्बत कोई सौदा नहीं,
जो सोच समझकर इनकार करो इजहार करो,
मोहब्बत तो इबादत है इसे तुम स्वीकार करो,
जिंदगी क्या मौत भी तुम्हारे नाम लिख दूंगा।।
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