
✍️अमर त्रिपाठी
आज वो साल मुझे छोड़ कर जा रहा है,
जिस कल का इंतजार हर रोज किया करते थे,
वह कल मुझे छोड़कर आज ही जा रहा है।
हर शाम यही सोचा करते थे,
कल आने वाला अच्छा होगा कल आने वाला कैसा होगा ?
इसी कशमकश में जिया करते थे हम,
मुझे क्या पता था वह कल आज मुझे छोड़ जाएगा।
बरसों से जिसका किया करता था इंतजार आज वह मुझे छोड़ जाएगा,
हर रोज हुआ मेरे दुख सुख का साथी,
मेरे दुख में जब मैं रोता तो वह मेरे साथ रोता,
मेरे सुख में जब मैं हंसता तो वह मेरे साथ हंसता,
जब मैंखाने में कभी मैं अकेला बैठा करता,
वह जाम से जाम मेरे साथ मिला लिया करता,
मुझे पता था वह जैसा भी था साल बहुत अच्छा था ,
मगर क्या करूं यह कुदरत का दस्तूर है,
जो आया है उसे जाना ही होगा जो पाया है उसे खोना ही होगा,
दर्द तो है तेरे जाने का,
मगर इन्तजार कल आने वाले का भी तो होगा।।
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