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✍️अमर त्रिपाठी
आज वो साल मुझे छोड़ कर जा रहा है,
जिस कल का इंतजार हर रोज किया करते थे,
वह कल मुझे छोड़कर आज ही जा रहा है।
हर शाम यही सोचा करते थे,
कल आने वाला अच्छा होगा कल आने वाला कैसा होगा ?
इसी कशमकश में जिया करते थे हम,
मुझे क्या पता था वह कल आज मुझे छोड़ जाएगा।
बरसों से जिसका किया करता था इंतजार आज वह मुझे छोड़ जाएगा,
हर रोज हुआ मेरे दुख सुख का साथी,
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