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✍️ अमर त्रिपाठी
आज बिगड़े हैं क्या जो हालात मेरे, लोग दौलत की दुहाई देने लगे हैं,
कल तक जो मेरे शोहरत मेरे रुतबे से अपनी पहचान बना रहे थे,
आज वही मेरा नाम लेने से कतरा रहे हैं,
दौलत रुतबा शोहरत किसी की जागीर नहीं साहब,
आज मेरा है तो कल किसी और का होगा,
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाएगा, उस दिन मगरूर लोगों का चेहरा बेनकाब हो जाएगा।
मैं भी देख लूंगा उस दिन ए गमे जिंदगी,
तेरे अंदर कितनी हिम्मत है,
जो मेरे हौसले को रोक देगी तू,
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