
Share0 Bookmarks 83 Reads1 Likes
दुनिया में समानतायें बहुत हैं
गरीबी हरजगह अभिशाप है
धार्मिक अंधता,अकड़ता सबजगह है
काबिलियत का पैमाना चाटुकारिता ही है
हराम की रोटी,किसी का हक खाना भी
सबजगह बराबर है
अशिक्षा का अंधकार सबजगह है
काश दुनिया में ये समानतायें ना होती
विविधताओं,विचारों वाली असमानताएं ही होती
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments