Share0 Bookmarks 43777 Reads1 Likes
दुनिया में समानतायें बहुत हैं
गरीबी हरजगह अभिशाप है
धार्मिक अंधता,अकड़ता सबजगह है
काबिलियत का पैमाना चाटुकारिता ही है
हराम की रोटी,किसी का हक ख
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments