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तब समझो श्रृंगार हुआ है
तब समझो कि प्यार हुआ है ।।
पलकों के डैने झपते हों
और वही सामने दिखते हों ।
हम अम्बर को तकते हों
चाँद तारे जमीं पर गिरते हों ।।
तब समझो झंकार हुआ है
तब समझो कि प्यार हुआ है ।।
उनको सुख देने में ही
अपने सुख का अनुभव हो ।
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