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ये खिड़की, किसने खोल रखी है

aman vermaaman verma July 19, 2022
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ये खिड़की,

किसने खोल रखी है

किस हद, किस सबा

के इंतज़ार में,

ये दराज़ें,

इनसे आती हवा

सीने में बहुत भीतर,

किसी चट्टान से टकराती है

ज़िस्म को बहुत चुभती है

रह-रह के आती जाती है

आँखों में रेत भरती जाती है

बहर खाक़-खाक़ उड़ाती है,

अब बंद करदे कोई खिड़की,

अब साँस नहीं आती है ।

-"अमन"






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