ज़िंदा हूँ अब तक मरा नहीं's image
Poetry2 min read

ज़िंदा हूँ अब तक मरा नहीं

Aman SinhaAman Sinha September 27, 2022
Share0 Bookmarks 47527 Reads0 Likes

ज़िंदा हूँ अब तक मरा नहीं, चिता पर अब तक चढ़ा नहीं

साँसे जब तक मेरी चलती है, तब तक जड़ मैं हुआ नहीं

जो कहते थे हम रोएंगे, कब तक मेरे ग़म को ढोएंगे?

पहले पंक्ति में खड़े है, जो कहते है कैसे सोएँगे?

 

मैं धूल नहीं उड़ जाऊंगा, धुआँ नहीं गुम हो जाऊँगा

हर दिल में मेरी पहूंच बसी, मर के भी याद मैं आऊँगा

कैसा होता है मर जाना, एक पल में सबको तरसाना

मूँह ढाके शय्या पर लेटा, मैं तकता हूँ सबका रोना

 

साँसों को रोके रक्खा है, कफन भी ओढ़े रक्खा है

क्या हाल है मेरे अपनों का, मैंने देख सभी को रक्खा है

कुछ मूँह छुपाए खड़े रहे, कुछ आँख दिखाए अड़े रहे

खुद को जो अपना कहते थे, वो पीठ दिखाए खड़े रहे

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts