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मैं बंजारा, मैं आवारा, फिरता दर दर पर ना बेचारा
ना मन पर मेरा ज़ोर कोई, मैं अपने मन से हूँ हारा
ठिठक नहीं कोई ठौर नहीं, आगे बढ़ने की होड नहीं
कोई मेरा रास्ता ताके, जीवन में ऐसी कोई और नहीं
ना रिश्ता है ना नाता है, बस अपना खुद से वादा है
जब तक जिंदा हूँ चलना है, बस यायावर ही रहना है
जब सबने हांथ बाढ़ाया था, तब मैंने हीं ठुकराया था
अपने पथ का चुनाव किया, मैंने सूख का परित्याग किया
हाव भाव से फक्कर हूँ, घुल जाऊँ तो शक्कर हूँ
स्वाद मेरा पहचान गया, जो मेरे मन को जान गया
मैं अपनी धुन में रहता हूँ, बस अपने मन की करता हूँ
सुन लेता हूँ जो कहते हैं, पर मूंह से कुछ ना कहता हूँ
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