तुम वीरांगना हो जीवन की's image
Poetry2 min read

तुम वीरांगना हो जीवन की

Aman SinhaAman Sinha May 22, 2022
Share0 Bookmarks 66 Reads0 Likes

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो

चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो


गर्भ में ही मारेंगे तुमको, वो सांस नहीं लेने देंगे 

कली मसल कर रख देंगे वो फूल नही बनने देंगे 

तुम मगर गर्भ से निकल कर अपनी खुशबू बिखरा दो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


चाहे पथ पर पत्थर फेंके, शिक्षा से रोके तुमको 

कुछ पुराने मनोवृत्ति वाले चूल्हे में झोंके तुमको 

तुम ना डिगना अपने प्रण से, एकाग्रचित्त हो जमी रहो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


चाहे तेरे पहनावे पर कोई कितने तंज़ कसे 

या फिर तेरे रहन सहन पर छोटी सोच के लोग हँसे 

उन सबको तुम चुनौती मानो, बस अपनी धून में रमी रहो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


बातें होंगी ना जाने कितनी, जब तुम घर से निकलोगी

अंगारे हीं होंगे पथ पर, फिर भी तुम ना पिघलोगी 

अपने श्रम के गंगा जल से, उन चिंगारी को नम करो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


बात-बात पर जगह जगह पर, आँखें तुमको तरेरेंगी,

कुछ लालची काली छाया हर ओर से तुमको घेरेंगी 

लेकिन तुम ना डरना उनसे, आँख दिखाकर वार करो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


क्यों भला अपमान सहो तुम, क्यूँ ना पुरजोर विरोध करो 

अपनी आन बचाने का अब हक़ है तुमको विद्रोह करो 

अब अपने स्वाभिमान के आगे तुम ना कोई फरमान सुनो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


आज तुम्हें जो ताने देते कल वो हीं पछताएंगे 

देखकर तेरा विजय पताका तुम्हें दौड़कर गले लगाएंगे 

पर तुम उनका अपमान न करना, ना अभिमान को हावी होंने दो 

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो



चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो    

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो





No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts