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तुझे भूला ना पाया मैं

Aman SinhaAman Sinha October 5, 2021
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बनकर पत्थर तू तोड़ दे मुझे शीशे की तरह

राह मे तेरे मैं चलता रहूँगा मुसाफिर की तरह

चाहे तो आजमा लेना सब्र मेरा जब भी दिल कहे

दर से तेरे न लौटूँगा मैं बेरंग फरियादी की तरह


किया है प्यार तुझसे मैंने बड़ी फुर्सत मे

पता था कांटे ही आएंगे भरके मेरे दामन मे

हमे थी उम्र बीतानी बस तेरी चाहत मे लेकिन

कट रही उम्र यहाँ प्यार की आजमाइश मे


कभी थी सिलवटें छोड़ी तूमने मेरे चादर पर

आज भी महसूस करता हूँ मैं करवटों को तेरी

अब भी बिखरे हुए है फूल तेरी गजरे के

है सूखे हुए मगर आती है उनसे खुशबु तेरी


धून्धली हुई नहीं याद अब तक उन गलियों की

जहां से गुजरती थी तू अपने दुपट्टे को सम्हाले हुए

गूंजती है आज भी आवाज़ तेरी हंसी की मेरी कानो मे

के नाम लेकर पहली बार जो पुकारा था तूने मुझे

 

भूल ना पाया हूँ मैं अब भी वो नजदीक से गुजर जा

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