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पौ फट गयी जागो, जूते पहन कर भागो
दौड़ ना लगाओगे, तो मोटे होते जाओगे
कपड़े फिट ना आएंगे, लोग अदरक तुम्हें बुलाएँगे
मधुमेह मे जकड़े जाओगे, तो मन की ना खा पाओगे
कमर नहीं कमरा होगा, चादर जैसा कुर्ता होगा
समारोह में जब भी जाओगे, आत्मसम्मान का भूर्ता होगा
खाके जो सो जाओगे, तो कुम्भकर्ण हो जाओगे
जो सीढ़ी ना अपनाओगे, तो चलने में भी सुस्ताओगे
हर द्वार तेरा सिकुड़ा होगा, हर गली में फिर लफड़ा होगा
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