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मेरी खूबसूरती श्राप है
मेरे पूर्व जन्म का पाप है
जितनों को मैंने छला होगा
ये उन सबका अभिशाप है
घर से निकल ना पाऊँ मैं
रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं
कपड़े गहनों की बात हीं क्या?
अब खुले बाल में रहना मुश्किल है
थोडी चमक-दमक जो जाऊँ मैं
लाली, पाउडर जो लगाऊँ मैं
हो चौराहे पर भीड़ जमा
जो गली तक फिर के आऊँ मैं
अब पापा पीछे हीं चलते है
अब हाथ भी नहीं पकड़ते हैं
कितनों की नज़र टिकि मुझपर
बस यही देखते रहते हैं
भैया साथ मेरे तो चलते है
पर नज़र सभी पर रखते है
देख गली के लडकों को
आस्तीन खींचते रहते है
पर ये सब मुझे नहीं जचता
कुछ भी अच्छा नहीं लगता
अनजानी आँखों में मुझको
अपना चेहरा नहीं सजता है
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