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मानसिक रोग़

Aman SinhaAman Sinha May 16, 2022
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अक्सर मैंने देखा उसको खुद से हीं बातें करते

कभी-कभी बिना कारण हीं खुद में हंसते खुद में रोते

कई दफा तो काटी उसने रातें यूं हीं जाग जाग के 

कभी किसी पर अटक गई जो पलकें उसकी बिना झपके 

           

           बैठे-बैठे खो जाती है वो अपनी अंजानी दुनिया में 

           कितने भाव उभर आते हैं उसकी थकीं आँख की डिबिया में 

           कोई उसको ताड़ रहा है, क्युं ऐसा उसको लगता है           

कानों में कुछ बोल गया क्या, जब कोई निकट से जाता है 

           

                       अपनी हीं परछाई उसको किसी और की आभा लगती है 

                 &

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