मैं रोना चाहता हूँ's image
Poetry3 min read

मैं रोना चाहता हूँ

Aman SinhaAman Sinha February 28, 2023
Share0 Bookmarks 23 Reads0 Likes

मैं रोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ

अपने आँखों को आँसुओं से

खूब भींगोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


पता नहीं कब क्यूँ और कैसे

आँसू मेरे सुख गए

दर्द मिला है इतना के अब

दर्द के नाले सुख गए

बस रोकर उनको फिर से मैं

गीला करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


याद पड़ा जब छोटा था

बात-बात पर रोता था

थक जाता जब रो-रो कर

माँ के गोद में सोता था

फिर एक बार मैं

उस गोद में सोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


किंतु अब मुझको माँ का दर्द भी

जरा भी विचलित नहीं करता

चाहे ज़ोर लगा लूँ जितना

मन भारी नहीं होता

चोट लगाकर खुद को फिर

मैं मन भारी करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


मैंने देखा हैं माँ को रोते

बड़े भाई की अर्थी पर

बाप वहीं पर बिलख रहा था

मझले भाई की छाती पर

लेकिन मेरा दिल ना पिघला

मैं उसको पिघलाना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


लगा मुझे मैं रो दूंगा

पर आँसू ना आए मुझे

बहनो का विलाप भी देखो

मुरझा नहीं पाए मुझे

उन बहनो का दु:ख

मिलकर बाटना चाहता हू

बस एक बार रोना चाहता हूँ


जब मेरा दिल टूटा था

प्यार मेरा जब छूटा था

तब भी मेरी आँख भरी ना

एक बूंद भी ना फूटा था

मैं उस दर्द को खुद में

महसूस करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


जब यारों ने छोड़ दिया

अपनी राहों को मोड़ लिया

मैं तब भी चुप रहा हमेशा

एक आँसू ना रोया था

यारो को याद करके

फिर मैं सुकून खोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


बीवी ने कड़वी बात कही

एक नहीं सौ बार कही

पर उसकी कड़वी बातों से भी

आँखें मेरी भरी नहीं

मैं उसकी कड़वी बातों को

दिल से लगाना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


कोई पत्थर लग जाए

कोई चोट लगा के जाए

कोई घाव हरा कर दे

पर आँसू तो निकल आए

मै उन घावों को फिर खुद हीं

कुरेदना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


कोई दिल तोड़ दे

या कोई मुंह मोड़ ले

रोता हुए मुझे फिर अकेला छोड़ दे

मैं उसे गले लगाकर

विलाप करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


कोई धोखा मिला जाए

या अपना कोई गुम जाए

कोई लौट के आ जाए

और आँसू भी ले आए

मैं उसकी याद में उसे ढूँढना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


कोई इज्जत उतार दे

या ताने हज़ार दे

कोई कोसे कई दफा पर

रुला कर छोड़ दे

मैं उन बदजूबानी को

कई बार सुनना चाहता हूँ

अब एक बार रोना चाहता हूँ


कोई दर्द ना सुने

मेरी बात ना करे

सामने रहूँ मैं मुझको नकार दे

मैं उनके इस कर्म पर फिर

खूब पछताना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


कोई डंक मर दे

गाली बार बार दे

मेरे सामने ही मेरी दुनिया उजाड़ दे

मैं उसके संग मिलके सब देखना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts