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मैं जिया हूँ दो दफा

Aman SinhaAman Sinha May 1, 2023
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मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ

पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ

चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा

पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा

 

राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी

पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी

मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी

उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी

 

मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में

वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में

साथ मेरे होने का वो स्वांग यूँ करता रहा

जानता था मैं भी सब पर संग उसके चलता रहा

 

अब कहीं जाकर उसका मतलब समझ मैं पाया हूँ

शरीर उसका है कोई मैं तो बस उसका साया हूँ

जब तलक रहेगी धूप होगा सिवा मेरे कुछ भी नहीं

छाँव मे मगर उसके मन मे मेरे खातिर कुछ नहीं

 

हाँ यही सच है मेरा हाँ यही तो मर्ज़ है

वो नहीं हो सकता मेरा बस यही एक हर्ज है

बस इसी एक आस मे उम्र बिताता जाता हूँ

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ






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